।।ग़ज़ल।।यहा सब गम के मारे है।।
भरे है दर्द तन्हा से यहा जितने किनारे है ।।
यहा मुझको नही रहना यहा सब गम के मारे है ।।
बड़े दिन बाद आया था तुम्हारे साथ साहिल पर ।।
सहारा कौन देगा जब यहा सब बेसहारे है ।।
चलो ऐ दोस्त चलकरके अलग महफ़िल सजाये हम ।।
मुनासिब अब नही रहना यहा तो बस बेचारे है ।।
मुहब्बत में तबाही का मुझे न शौक़ कोई है ।।
हमारी दोस्ती में ही सभी चन्दा सितारे है ।।
अग़र है चाह तुमको तो किसी से प्यार कर देखो ।।
मुझे रुकना नही पल भर यही पर दर्द सारे है ।।
.. R.K.M
गजल सम्राट जी आप से निवेदन है ….
हम लोग वार्ट्सप मे हिन्दी साहित्य ग्रुप बनाये है उसमे आप का स्वागत है
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इस मे आपका नं. भेज दें…..
Abhar anuj ji ..
9125562266
राम केश जी ग़ज़ल पढ़ कर आनंद आ गया
Shishir ji bhut bhut abhar
अति सुन्दर ……….!!