- क्या पूछोगे यारो हाल,
मैंने कैसे कैसे मंजर इस दुनिया में देखे है !!मूर्तिकार पड़े सड़को पर,
मिटटी के भगवान बेच जिनके पेट पाले जाते हैं !जो देते है पत्थर को ईश रूप,
ऐसे इंसान अक्सर बेचारे बेघर पाये जाते है !जो बनाते मंदिर मस्जिद,
बेबसी में वो लोग उनकी सीढ़ियों पर बैठे पाये जाते है !जो सजाते दुसरो के महल,
अक्सर वो ही लोग टूटी झोपड़ पट्टी में बसे पाये जाते है !भक्तो की बात न पूछो मेरे देश में,
बुजुर्गो को दुत्कार और ढोंगी बाबा घरो में पूजे जाते है !!इस दुनिया की रीत निराली,
ताजमहल बनाने वालो के अक्सर हाथ कटवाए जाते है !
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[[_________डी. के. निवातियाँ ________]]
लाजवाब धर्मेन्द्र जी । कमाल की बात कही है आपने । सोलह आने सच ।
हार्दिक आभार आमिताभ जी !
Virodhabas ko darshati satyapark rachna
हार्दिक आभार ‘शिशिर जी !!
निवातिया जी आप्से निवेदन है कि हम लोग वार्टअप मे हिन्दी साहित्य ग्रुप बनाये है …और आप सब लोग इस ग्रुप को ज्वाइन करे …
इससे आप जैसे सीनियर की मदत मिल जायेगी , और आप लोगो की पुरानी कवितायें भी पडने को मिलेगीं
मेरा निवेदन शिशिर जी , रामकेश जी ,किरण जी, और भी अन्य रचनाकारों से भी है ….
इसके लिये आप आप का नाम और नम्बर ९१५८६८८४१८ पर SMS करें
प्रिय अनुज,
सुझाव सराहनीय एव स्वागत योग्य है !
Aap ka mob. No. Dijiye taki aap ko add kar sake….
Dear Anuj,
pls. add my no. on 08750159002
आप का जवाब नहीं
शुक्रिया, प्रिय अनुज !!
बहुत खूब लिखा है ,निवातियां जी ,आपने । पेड़ जो हमें पालते हैं बेरहमी से कटवाए जाते हैं ।
Thanks bimla ji
Very true line …
शुक्रिया ओमेन्द्र जी !!
Khub likha hai apne
Ati sundar ……