Homeकाका हाथरसीमोटी पत्नी मोटी पत्नी शुभाष काका हाथरसी 24/02/2012 No Comments ढाई मन से कम नहीं, तौल सके तो तौल किसी-किसी के भाग्य में, लिखी ठौस फ़ुटबौल लिखी ठौस फ़ुटबौल, न करती घर का धंधा आठ बज गये किंतु पलंग पर पड़ा पुलंदा कहँ ‘ काका ‘ कविराय , खाय वह ठूँसमठूँसा यदि ऊपर गिर पड़े, बना दे पति का भूसा Tweet Pin It Related Posts भ्रष्टाचार नाम-रूप का भेद मरने से क्या डरना About The Author शुभाष Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.