हमें याद करने की उसे फ़ुरसत नहीं है।
उसे भूल जाएँ हम हमारी फ़ितरत नहीं है।।
जिस शहर में गया है वो मुझसेे बिछड़कर।
उस शहर में गए हमको मुद्दत हुई है।।
कभी जो मिला ग़र तो बताएँगे हम भी।
उसके जाने से दिल पे जो क़यामत हुई है।।
एक बार उससे मैंने सब कुछ तो कह दिया था।
अब हाल-ए-दिल फिर कहने की हिम्मत नहीं है।।
वो आता है ख़्वाबों में ये और बात है।
दीदार उसका हो ऎसी किस्मत नहीं है।।
— अमिताभ ‘आलेख’
सुन्दर अति सुन्दर ।
अनेक धन्यवाद बिमला जी ।
प्रेम व विरह का ममस्पर्शी चित्रण
शिशिर जी प्रशंसा के लिए अति धन्यवाद । हाँ एक प्रयास करने की कोशिश की है। आपको पसंद आया इसके लिए शुक्रिया ।
बहुत खूब …………..!!
धन्यवाद धर्मेन्द्र जी !