जब आते हो कान्हा
मेरे मन अनंगन में
दिल होता है गुलज़ार
भर जाती है मीठी खुशबु
मन में जग जाता है प्यार
हर पत्ता हर बूटा
कुछ कहते कहते रह जाता है
हलके तेज़ पवन के झोंके
हंस के ही वोः सह जाता है
आते हो जब तुम
मस्ती सी लहरा जाती है
कभी ऐसा भी होता है
दिल जाने घबरा जाता है
तोड़ के दुनिआ के बंधन
तेरी शरण में आ जाता है
आना इस जग में मेरा
यह तेरी ही रज़ा थी
कुछ खोना या पाना मेरा
इक तेरी ही अदा थी
फिर मैं क्या और मेरा क्या
लिखी तुमने ही कोई कथा थी
अब बस भी जाओ
मेरे मन आँगन में
रहे हर पल ही गुलज़ार
मीठी खुशबु के झोंकों से
दिल में जगता रहे तेरा प्यार
कृष्ण भक्ति से ओतप्रोत सुन्दर रचना
धन्यवाद शिशिर जी
प्रेम और भक्ति का अच्छा समागम !!
निवातियाँ जी बहुत २ धन्यवाद