कभी फुर्सत निकाल
ए जिंदगी
मेरे गुनाह गिना देना
सजाएं जो तूने दी हैं
एक दो वजह भी बता देना
क़र्ज़ दिया नही तूने
क़िस्त दर क़िस्त
वसूली की रकम बता देना
छीन लिए हो हसीं होठो की
गम के खजाने का पता तो दे देना
सांसे उखड़ने लगी हैं
पौधा दुआ का कहाँ लगाऊँ
वास्ते उसके मुठ्ठी भर मिटटी दे देना
Shweta !!!
Very nice expression of pain
हिन्देऍ साहित्य मे आप का स्वागत है …..
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