अजीब सा मुल्क है भारत अपना
अजीब से लोग यहाँ बसते है
नेता करता चोरी है
अफसर सारे घूसखोरी है
कानून ना इनके लिए है कोई ,
सताए गरीबों को हर कोई
आतंकी खाता बिरयानी है ,
कातिलों को पेरोल यहाँ मिलते है ,
अजीब सा मुल्क है भारत अपना….
सरहद पे जो हमें मारे गोली
उनको अनुज यहाँ कहते है
विस्फोट करे जो घर में हमारे
भाईचारे को उनसे हम तरसते है
देशद्रोही का जो करे विरोध
सेक्युलर उसे यहाँ कहते है
अजीब सा मुल्क है भारत अपना….
आंसू ना बहाते कभी शहीदो के शव पे
आतंकियों के मौत पे कैंडल यहाँ जलाते है
उपहास धर्म का करे जो कोई
युग-पुरुष उसे हम बतलाते है
धर्म का पालन करे यहाँ जो ,
पाखंडी लोग उसे कहते है
अजीब सा मुल्क है भारत अपना……
खादी,खाकी और मीडिया
तानाशाही यहाँ करते है
अपनत्व दिखाके जनता का
झूठा स्वांग स्वयं रचते है ,
पैसो पे बेच स्वयं को ये
जनसेवा का ढोंग रचाते है
छीन गरीबों से उनकी रोटी
हालत पे उनके ये हँसते है
अजीब सा मुल्क है भारत अपना…..
बहुत सत्य परक रचना. अंत सुन्दर बन पड़ा है
उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद ..
हकीकत से रूबरू कराती शानदार रचना !!
धन्यवाद मित्र ..