छोटे-छोटे बच्चे हम हैं
…आनन्द विश्वास
छोटे-छोटे बच्चे हम हैं,
काम करें हम बड़े-बड़े।
हम हैं छोटे चींटी जैसे,
हाथी हमसे हारा है।
आत्मशक्ति से ओत-प्रोत हैं,
सत्-पथ हमको प्यारा है।
बड़े-बड़े जो ना कर पाएं,
वो हम कर दें खड़े-खड़े।
हमने दांत गिने शेरों के,
सूरज हमने निगला था।
नापे तीनों लोक हमीं ने,
अहंकार तब पिघला था।
हम कोमल काया वाले हैं,
किन्तु हौसले बड़े कड़े।
अब तो हमने ठान लिया है,
घर-घर अलख जगाना है।
सबके कर तक पुस्तक पहुँचे,
सबको हमें पढ़ाना है।
बेटा-बेटी सब समान हैं,
हर बच्चा अब लिखे-पढ़े।
अपने घर को,गली नगर को,
सबको स्वच्छ बनाना है।
गंगा यमुना सब नदियों में,
निर्मल नीर बहाना है।
ऐसा जतन हमें करना है,
कचड़ा नदियों में नहीं पड़े।
…आनन्द विश्वास
http://anandvishvas.blogspot.in/2015/09/blog-post_16.html
बच्चो के माध्यम से शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर अच्छा प्रकाश डाला !!
अति सुन्दर रचना !!
बच्चो के लिए उत्साहवर्धन करने वाली और उनमें अछ्रे मूल्यों को विकसित करने वाली उत्तम रचना. ऐसी रचनाए पाठ्यक्रम का हिस्सा भी हो सकती हैं.