भक्ति है बेटी, शक्ति है बेटी , बेटी से बनता संसार
अनमोल होती है बेटी , तू उसे कोख में यूं मत मार
शान है बेटी , मुस्कान है बेटी, बेटी से सजता घर द्वार
प्रभु कृपा होती जिस पर ,मिलता उसे ये बहुमूल्य उपहार
राधा है बेटी ,सीता है बेटी , बेटी है माँ सिंह सवार
काशी बेटी , मथुरा बेटी और बेटी है तीर्थ हरिद्वार
जय है बेटी , विजय है बेटी, और बेटी से मिले शक्ति अपार
जब तक बेटी साथ है तेरे , तू न सकेगा कभी हार
धरम है बेटी , करम है बेटी , बेटी से मिलते संस्कार
बेटी है वो मजबूत कड़ी , जिस से जुड़ते दो परिवार
धरती है बेटी ,कीर्ति है बेटी , बेटी है जगत आधार
बेटी जो संतान तेरी , तो तूने किया धरा पर उपकार
कन्यादान है बेटी , महादान है बेटी , बेटी करे तेरा उद्धार
बेटी करे तेरा जनम सफल , होगी तेरी भी नैया पार
समझ सके तो समझ ले , बेटी की महिमा का सार
कहे हित, जिसने इसको ठुकराया, उसका जनम समझो बेकार
हितेश कुमार शर्मा
बहुत अच्छी लययुक्त भावुक कविता. यह कविता हरियाणा सरकार को बेटी बचाओ कार्यक्रम के समर्थन में भेजे जाने योग्य है. इसे हिंदी दैनिकों में भी ज्यादा प्रचार के लिए भेजा जा सकता है. एक दो जगह शब्दों के सुधार की जरूरत है.
धन्यवाद जी , एक सुधार कर दिया है
अति मनोरम शब्दावली !! लाजबाब रचना !!
एक उत्कृष्ट और सार्थक रचना के लिए आभार
रचना पसंद करने के लिए आपका आभार