कभी दीखता है जो
वह होता नहीं
और होता है जो
वह दीखता. नहीं
है इक पहेली यह ज़िन्दगी
चाहो भी तो
वक़्त कभी रुकता नहीं
जिसकी तलाश में
भटकते हैं हम
रास्ता उसका मिलता नहीं
आते हैं ज़िन्दगी में मोड़ कई
खिंचा तानि का
सिलसिला कभी रुकता नहीं
भरी बहारों में
कभी दिल रोता है
वीरानों में भी
वह हंस लेता है
चाल मन की
हम न जाने
बिन मोल भी
यह बिक लेता है
चुभन काँटों की भी
वोह सह लेता है
अपने पराये का भेद
कभी जो पा जाता है
फूलों से भी घबरा जाता है
सुख की तलाश में
जीवन सारा खो जाता है
फिर लाख चाहो तुम
वक्त कभि रुकता नही है
Very nice. Efforts have been made to say hidden emotions generally difficult to express which affect us through out life.
शिशिर जी धन्यवाद
well compiled, nice lines….
धन्यवाद राजेश जी
सुन्दर अभिव्यक्ति !!
धन्यवाद. निवतियां जी