सब दौर हैं जिन्दगी के गुजर जाएंगे
खिले हैं जो फूल सब बिखर जाएंगे।
होता है कोई खुश यदि अपनें शबाब पर
जान ले कि जिन्दगी है सिर्फ ख्वाब भर
टूटेगा जब ये ख्वाब सच से सामना होगा
सच की हर कड़वाहट को मानना होगा
रिश्तों के सारे बर्फ ये पिघल जाएंगे
बन के आंसू आँख से निकल जाएंगे।
सब दौर हैं जिन्दगी के गुजर जाएंगे
खिले हैं जो फूल सब बिखर जाएंगे।
कितना भी कोई चाहे साथ जाएगा नहीं
जाने वाला लौट कर फिर आएगा नहीं
जाएंगी सिर्फ साथ भलाई बुराईयाँ
समय के साथ धुधंली होंगी परछाईयाँ
जो जिए अपनें लिए वो भुला जाएंगे
दूसरों को चाहने वाले याद आएगे।
सब दौर हैं जिन्दगी के गुजर जाएंगे
खिले हैं जो फूल सब बिखर जाएंगे।
शिशिर “मधुकर”
Nice Line..
Thanks a lot
सर अपने बहुत अच्छा लिखा धन्य हो आप आपके पास एक महान कला है
बेहतरीन…आपने जीवन के यथार्त को अंकित कर दिया…किसी अपन से बिछड़ने पर मन अगर भारी हो…तो इस कविता को पढ़ कर शांति मिलेगी…
You are absolutely right Ashita
जीवन का सत्य है यह…………..अच्छी रचना……………