न जाने कब ,कहाँ ,कैसे ,
किस से मुलाकात हो जाये
न उलझे कभी काँटों से दामन
और फूलों की बरसात हो जाये
बदलते रहते हैं पल यादों में सदा
शायद इस बार सुहानी कोई बात हो जाये
चड़ता है दिन डूबने के लिए
नजाने कहाँ फिर रात हो जाये
आती हैं बहारें और चली जाती हैं
कौन जाने कब कैसे हालात हो जाएँ
भरोसा ज़िन्दगी.का कैसे करें
न जाने कौन सी रात आखरी रात हो जाये
सांसों का खेल है जीवन ये सारा
लौट कर न आएं तो
यादों की ही बस बात हो जाये
बहारों की तमन्ना लिए आते हैं सब
क्यूं न हर ख़ुशी फिर सौगात हो जाये
रच जाये खुशबु हर साँस में
अजब सी कोई करामात हो जाये
उलझे न कभी काँटों से दामन
हर पल फूलों की बरसात हो जाये
Nice one
Thank u Hitesh Ji
Nice line..
Thank u Shukla Ji
वाह क्या बात है. बहुत सुन्दर दिल को खुशी देने वाली कविता
Thank u Shishir Ji