।।ग़ज़ल।।सितमगर नही देखा।।
जिसने इश्क़ में बर्बादियो का मंज़र नही देखा ।।
मेरा दावा है ,शाहिलो पर समन्दर नही देखा ।।
कभी डूबकर बच निकला हो तो कोई बात नही ।।
दिलो में प्यार की कमियो का बंजर नही देखा ।।
बच ही नही पता कोई भी रास्ता गर्दिस में ।।
मंजिले लाख पायीं हो पर खुद का घर नही देखा ।।
बचेगा खाक दामन में ,नही तो प्यार कर देखो ।।
किसी ने गम से बढ़कर कोई खंजर नही देखा ।।
मग़र ऐ ! दोस्त होती है अमानत प्यार ही दिल की ।।
डरे है जो नफासत से ,मुकद्दर नही देखा ।।
तन्हा है ,उदासी है ,खमोसी में है रंजोगम ।।
खुदी के दिल से बड़कर के सितमगर नही देखा ।।
….. R.K.M
Nice line Mishra ji..
shukla ji abhar