दिल की गांठे खोल , रे मनवा ,
दिल की गांठे खोल
दर्पण सा दिल होता अनमोल , रे मनवा ,
दिल की गांठे खोल
जीवन के दिन चार , रे मनवा ,
मत कर इसको तू बेकार
अपनी वाणी में मिश्री घोल , रे मनवा ,
दिल की गांठे खोल
प्यार की बरसात कर ले तू , रे मनवा ,
दुआओं से झोली भर ले तू
मुख से प्रभु नाम बोल , रे मनवा ,
दिल की गांठे खोल
रूप तेरा तुझे धोखा देगा , रे मनवा ,
यम न तुझे फिर मौका देगा
बिकेगा ये तन मिटटी के मोल , रे मनवा ,
दिल की गांठे खोल
रिश्ते नाते मतलब के साथी – रे मनवा ,
तू दूल्हा और ये बाराती
मौत दुल्हन संग तू डॉल , रे मनवा ,
दिल की गांठे खोल
दिल की गांठे खोल , रे मनवा ,
दिल की गांठे खोल
दर्पण सा दिल होता अनमोल , रे मनवा ,
दिल की गांठे खोल
हितेश कुमार शर्मा
अति सुन्दर और लययुक्त
bahut dhanyawad
Sunder bhav, man ka hi khel hai Sara