Homeकाका हाथरसीखिल-खिल खिल-खिल हो रही खिल-खिल खिल-खिल हो रही शुभाष काका हाथरसी 24/02/2012 No Comments खिल-खिल खिल-खिल हो रही, श्री यमुना के कूल अलि अवगुंठन खिल गए, कली बन गईं फूल कली बन गईं फूल, हास्य की अद्भुत माया रंजोग़म हो ध्वस्त, मस्त हो जाती काया संगृहीत कवि मीत, मंच पर जब-जब गाएँ हाथ मिलाने स्वयं दूर-दर्शन जी आएँ Tweet Pin It Related Posts आरती श्री उल्लूजी की पक्के गायक श्री गजराज About The Author शुभाष Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.