हम नवयुग के बाल गोपाल
अपनी तो हर अदा कमाल
दिन रात का हमे भेद नही
बाल की हम उतारे खाल !!
बीती बातो का पता नही
कम्प्यूटर सा चले दिमाग
आधुनिक तकनिकी युग में
लेकर जन्म हम हुए निहाल !!
गाय भैंस क्या होती है
हमने कम्यूटर से जाना है
क्या होते है दूध मलाई
माखन भी उसी से जाना है !!
फ़ास्ट फ़ूड से भूख मिटाते
सिंथेटिक दूध से काम चलाते
खाकर रासायनिक पदार्थ
अपने को हष्ट पुष्ट कहलाते !!
माँ का दूध हमे मिला नही
पाउडर से काम चलाया है
आँचल की नही मिली छाया
हमे आया ने गोद खिलाया है !!
शिक्षा अपनी हाईटेक है
स्कूलों से नही सरोकार
देश विदेश की बात न पूछो
जेब में रखते हम संसार !!
बटन दबाकर जिंदगी चलती
चुटकी में होते अपने काम
सब सवालो का हल “गूगल”
घर बैठे बन जाते हम विद्वान !!
मोबाईल, लैपटॉप खेल*खिलौने
इनसे बना अपना जीवन महान
इनमे ही तो सारी दुनिया समाई
अब यही बने हमारे लिए भगवान !!
बंधन हमको रास नही
हम पंछी नवयुग के आजाद
मम्मी डैडी की बाते
लगती हमको तुगलकी फरमान !!
हम नवयुग के बाल गोपाल
अपनी तो हर अदा कमाल
दिन रात का हमे भेद नही
बाल की हम उतारे खाल !!
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[[ रचनाकार ::— डी. के. निवातियाँ ]]
बहुत ही अच्छा concept…….
शुक्रिया अनुज !!
Kavita mein sacchayee hai , nice poem
शुक्रिया किरण जी !!