।।ग़ज़ल।।बर्बाद हुआ दिल ये।।
मत सोच तेरे इश्क़ में ,बर्बाद हुआ दिल ये ।।
तन्हाइयो में ,गम में ,नासाद हुआ दिल ये ।।
लगे है जख़्म सच है ,रुस्वाइयो के मारे ।।
मगर तेरी यादों से आबाद हुआ दिल ये ।।
बहे जो आंशू मेरे वो पानी तो नही थे ।।
तेरे चेहरे की झलक से ,आबाद हुआ दिल ये ।।
मैं रब से माग लूगा, खुशिओं की दुआ तेरी ।।
तेरी ही बद्दुआ का फरियाद हुआ दिल ये ।।
अब सीख गया मैं भी दर्दो को सहन करना ।।
वाक़िब ऐ हक़ीक़त वर्षो बाद हुआ दिल ये ।।
……. R.K.M
Nice
abhar
अच्छी रचना,
दिल ये की जगह “ये दिल” प्रयोग किया जाता तो लय अच्छी बनती !
“आबाद हुआ दिल ये” का दो बार प्रयोग ना होता तो ज्यादा अच्छा रहता
सभी के सुझावो का बहुत बहुत स्वागत एवम् आभार ।।
प्रयास अवश्य किया जायेगा ।।
धन्यवाद ।।।।