मेरी सुकोमल सी परी समान,
ना जाने कब हो गयी जवान।
उसके आने से जगमगा गया मेरा आन्गन,
और हजारो फूल ्खिल गये हमारी बगियन।
मासूम सा उसका चेहरा सुकोमल से उसके हाथ,
देखते नही बनते बस हो गये लाजवाब।
मा पापा की दुलारी को गोदी मे लिये फिरते थे सभी महमान,
आज प्यारी नन्ही परी मेरी हो गयी है जवान ।
रातो को जगाती थी कभी, तभी, अभी भी,
भगाती थी कभी,तभी,अभी भी।
एक झलक उसकी देखने को तरसते है नयन,
बस मुस्कराहत उसकी देखकर हो जाता है चयन।
नाजो से पाला वसुन्धरा को हम दोनो ने दिनो रात,
आन्च भी ना आने पाये हमारी पुत्री को इस या उस पार।
पापा वसु के सुनाते थे लोह्ररी,
आज भी दिल गद्द-गद्द हो उथता पापा का जब देखते उसके नयन चोरी-चोरी।
जो फरमाईश करती उसे पूरा करते हर पल,
रोक ना पाते बस एक कर देते जल थल।
लादो हमारी को ना लगे किसी की नजर,
दिल और दिमाग बस देती यही दुआ हर पहर।
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प्रोत्साहन के लिये बहुत-बहुत शुक्रिया आप सबका
बेटी से प्रीत के लिए अच्छी पंक्तिया
भावनाए बहुत सुन्दर है। कुछ अधिक उपयुक्त शब्दों के चयन से इसे और सुन्दर बनाया जा सकता है।