जिन्दगी तेरा सफ़र रास ना आया हमको
खुशी की चाह में गले हमनें लगाया गम को।
कोशिशे लाख कीं कोई हमें भी साथ मिले
मिलनें वालों ने कभी ना दिल में बसाया हमको।
आँधी तूफानों में कितनों ने यहाँ सहारे लिए
धूप जब छट गई मेरे सायों ने डराया उनको।
जिन्हे अपना समझ उम्मीद हमने पाली थी
वक्त आने पे कभी पास ना पाया उनको।
राह मंजिल की तो सोच कर चुनी थी मगर
काफिला बीच में लुटेगा ना बताया हमको।
जिन्दगी तेरा सफ़र रास ना आया हमको
खुशी की चाह में गले हमनें लगाया गम को।
शिशिर “मधुकर”
बहुत बढ़िया !!
धन्यवाद श्रीमन
Nice one
धन्यवाद हितेश जी