मन को लगा ले प्रभु चरणों में
वहीँ सब मिल जायेगा
भटक रहा है मन ये बांवरा
इस जग में क्या कुछ पायेगा
पाने पाने की रट में जाने
कितने जनम गँवायेगा
खो कर खुद को देख ज़रा
भेद जन्मो का खुल जायेगा
प्रीत लागले उससे मनवा
जो हर पल प्रीत निभाएगा
यह दुनिआ तो है मायाजाल
कहाँ इससे तू बच पायेगा
मूँद पलकें उसे बुलाओ
वोः भगा भगा आएगा
लिए बांसुरी मुस्कान अधरों पे
कहाँ वो रुक पायेगा
उसकी प्रीत निराली सबसे
हर बंधन से मुक्त करायेगा
आना जाना बहुत हुआ प्रभु
कहो अंत कहाँ हो पायेगा
भटक रहा है मन ये बांवरा
तेरे चरणो में बस जायेगा
मन को लागले प्रभु चरणो में
वहीँ सब मिल जायेगा
अच्छी भक्ति गीत !!
धन्यावाद निवातियॉ जी
Nice
Thanks Anuj JI