कुछ कर न पाने की बेबशी में आहत सा
पर कट गए, वह गिर गया
उस घाव पर गाढ़ा रुधिर जम गया
क्षत-विक्षत हो गए अंग
पड़ गए शिथिल प्रत्यंग
घुटने झुके, कंधे झुके
पर गर्व से सीना औ माथा तन गया
दुर्नीति से वह ना डरा
सामर्थ्य संग वह भिड़ गया
नारी की रक्षा करने को
वह प्राण अपने तज गया
वह कर्मयोगी, नीति ज्ञानी
धर्म-रक्षक, स्वाभिमानी
बन शूर हो गया युग-युगों तक दीर्घायु
मन में बसाओ, नाम जिसका है ‘जटायु’
(महाराणा प्रताप के वंशज, वर्तमान महाराणा शिवदान सिंह जी को समर्पित)
Poem on Jatayu by Mithilesh in Hindi.
Nice line….
Thank you Anuj ji