आरक्षण एक हावा बन गया
मुफ्त पाने का दावा बन गया
सभी लोग इसे पाना चाहता
जेनरल ओ बी सी में
ओ बी सी एस टी में
एस टी एस सी में
जाना चाहता ,
लोगों को मुफ्त में पाई चाहिए
बिना कुछ किए वाई-फाई चाहिए ,
सत्ता पाने का मुफ़्तखोड़ी एक साधन बन गया
अनेकों योजनायें मुफ्त का रेवड़ी ,
बिना काम का दिहाड़ी बन गया ,
जन जनता न सरकार
सही तथ्य समझने को हैं तैयार
सभी सुविधा उठाते हैं सम्पन
फूटपाथ वाला फुटपाथ पर हीं जीने को लाचार,
आरक्षण एक हावा बन गया
मुफ्त पाने का दावा बन गया।
आरक्षण किसे चाहिए ?
किसी जाती को
या
साधन-सुविधा विहीन पाती को ,
आरक्षण किस में और कितनी बार चहिए
या
जीवन में आगे बढ़ने का आधार चाहिए ,
इसपर पुनः विचार करने की जरुरत है
अन्यावश्यक सुबिधाओं को छोड़ने की जरुरत है।,
नेता तो ऐसा कर नहीं सकते
ए रोज नये-नये रूप के जाती गढ़ते
बुद्धिजीवी समाजसेवी और न्यालय से हीं कुछ अपेक्षा है ,
आरक्षण एक हावा बन गया
मुफ्त पाने का दावा बन गया।
great collection..
thanks sir
वर्तमान परिस्थिति का भान कराती अच्छी रचना !!
जी आपने बिलकुल सही कहा है।
nice one
Thanks sir