मतदाता जाग जाओ
लोकतंत्र में अपनी
तगत पहचान जाओ।
आज वह तुम्हें हाथ जोड़ रहें
पॉँच वर्ष फिर तुम हाथ जोड़ोगे
आज भीड़ का हिस्सा बन रहे
कल भीड़ का हिस्सा रहोगे।
मतदाता जाग जाओ
लोकतंत्र में अपनी
तगत पहचान जाओ।
धर्म जाती के नाम पर
धुर्वीकरण तुम छोड़ो
देश समाज के विकाश से
नाता तुम जोड़ो
इनके शब्द जाल में न तुम पड़ो।
मतदाता जाग जाओ
लोकतंत्र में अपनी
तगत पहचान जाओ।
न्यालय ने तेरा ख्याल किया
आयोग ने नेताओ को
दिशानिर्देश दिया
तुम्हारे लिए नोटाबटन प्रदान किया।
मतदाता जाग जाओ
लोकतंत्र में अपनी
तगत पहचान जाओ।
तुम जागोगे देश जागेगा
भ्रष्टाचारी व्यभिचारी कापेगा
तुम बन जाओगे महान
कहलाओगे देश का कर्णधार।
मतदाता जाग जाओ
लोकतंत्र में अपनी
तगत पहचान जाओ।
अच्छी रचना
सुन्दर आह्वान !!
कुछ लोग जग जाये बस मेरा यही कामना है।