मइया कहा चली गयी हो तुम,
खोजती बच्चो की नजरे तुम्हे ह्र्र दम।
जिधर जाती हू होता है एहसास तेरा,
अखिया देखती है तुझ्हे जहा तहा फिरा।
ह्र्र सान्स-सान्स मे निकलता हाये मा,
ना जाने क्यो चली गयी करके हमे तन्हा।
सब है जमाने मे ना कोइ है कमी,
परन्तु मा के बिना तो बस जीवन मे है नमी।
सुंदर !!
धन्यवाद जी