- [[ कमल और गुलाब ]]
कमल और गुलाब की
एक दिन मुलाक़ात हुई
बातो बातो में दोनी की
आपस में पहचान हुई !!वार्तालाप में दोनी अपनी -२
शोहरत के चर्चे सुनाने लगे
बातो बातो में दोनों खुद को
दूजे से कीमती बताने लगे !!गुलाब ने इतराकर कहा
मै सुगंध से परिपूर्ण हूँ
सुर्ख रंग की पंखुड़ियों से
भरा प्रेम का प्रतीक हूँ !!काँटों के बीच रहता हूँ
पर शान से खिलता हूँ
बिखरकर भीनी सुगंध
सबके मन को हरता हूँ !!किसी के प्रेम की निशानी
किसी के गले का हार बनू
सजाया जाता गुलदान में
कही भेंट का मै पात्र बनू !!कंटको की तीक्षण चुभन
में भी मंद मंद मुस्काता हूँ
प्रेम और भक्ति का पाठ
मै दुनिया को सिखलाता हूँ !!इतना सुनकर कमल ने
अपने कलोलो को खोला
शांत भाव से फिर उसने
मुस्कराकर धीरे से बोला !!अपनी गाथा तुमने कह ली
अब ध्यान लगाकर मेरी सुनो
खुद पे ना इतना इतराओ
जरा कहानी तुम मेरी भी सुनो !!ऐ गुलाब तुम खिलने से पहले
माली से जी भर सेवा कराते हो
मुझ को देखो मै निस्वार्थ हूँ
कीचड़ स्वंय ही खिलता पाते हो !!रंग मुझमे कितने तुम क्या जानो
रंग बिरगी छटा निशा में दिखाता हूँ
शबनम की बूंदो को पीकर रातभर
श्वेत रंग से पाठ अमन का सिखाता हूँपंखुड़ियों में मेरी अजब कशिश
मन्त्र मुग्ध भंवरों को लुभाता हूँ
गन्दी कीचड में खिलकर भी
स्वछता की पहचान दिखाता हूँ !!जग में जब कोई होता नीरस
उसको जीने का सबक सिखाता हूँ
बुराई के बीच कैसे अच्छाई कायम
एक “कमल” का उदहारण याद दिलाता हूँ !!कमला हो या गुलाब
दोनों की अपनी पहचान
कर्म दोनी का एक है
एक दोनों के जीने का आधार !!श्रेणी दोनों पुष्प की
मानव को ये सिखलाती है
कांटो से लड़े या कीचड से
उनकी खूबसूरती पे आंच नही आती है !!!
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डी. के. निवातियाँ [email protected]@@@
अति सुन्दर भाव ,
कमल और गुलाब एक मेरी भी रचना है पर आप उससे कहीं अच्छा लिखे है !!
बह्त अच्छा लगा !!
धन्यवाद मित्र !!
जानकार अति प्रसन्नता हुई की इस विषय पर आप पहले ही लिख चुके है, हम उसको जरूर पढ़ेंगे !!
सुन्दर रचना
शुक्रिया हितेश जी…..!!
बेहद उम्दा…प्रेरक….प्रकीर्ति हर रूप में इंसान को कुछ न कुछ सिखाती है…उसी के भेद खोलती रचना….
आपके अमूल्य वचनो का ह्रदय से आभार बब्बू जी …….धन्यवाद आपका !!