आज बचपन जीया
तो याद आ गया
वो दोस्तों के साथ खेलना
कभी रूठना, कभी मनाना
वो घर-घर खेलना
बात-बात पर
एक दुसरे को मारना
फिर रों देना
एक दुसरे से गुथम-गुथ्था करना
पर फिर भी अलग ना होना
आज बचपन जीया
तो याद आ गया
बच्चा था तो मन कितना
निर्मल निश्छल था,
बड़ा हुआ तो
झूठ,फरेब, कपट
ने घेर लिया
बूढ़ा होगा तो ये
शरीर छोड़ दूंगा
काश! हम बच्चे ही रहते
तन से नहीं मन से
होते मन से निर्मल निश्छल
काश! हम बच्चे ही होते |
बी.शिवानी
अति सुंदर !!
धन्यवाद