बहुत उदास सी रहने लगी है जिन्दगी,
हर सोच से अब परे है जिन्दगी,
हम तो तस्वीर बनाते जातें हैं,
जाने क्या रंग भरे जिन्दगी,
मिलेगी कभी तो पूछेंगें जरूर,
कया चाहती है हमसे ए जिन्दगी,
कल जो बहुत दूर तक पीछा किया हमनें,
इक मोड पे जा के खो गई जिन्दगी,
मिली थी कभी गीली लकडी की तरह,
जलाया तो धूआं करने लगी जिन्दगी,
आग तो नजर आ सकी योगी,
पर आंखें तर कर गई जिन्दगी,
योगेश शर्मा योगी
सुन्दर अभिव्यकित !!
Thanks for kind compliment.
Nice Yogesh
Thanks meharban