तुम भी कर लो जिंदगी, अपने सारे वार |
मेरी भी ज़िद है यही, नहीं पऊँगा हार ||
नहीं पऊँगा हार, कर्म ही मेरा गहना |
मंज़िल मेरा लक्ष्य, चलते है मुझे रहना ||
कह माही कविराय, मुझे कभी थकना नहीं |
पहाड़ दरिया भले, मुझे कभी झुकना नहीं ||
# महेश कुमार कुलदीप ‘माही’