तडफ मुहब्बत् की जब ,दिल बेकरार करती हो !
चाहत लव्जों मे आने का इन्तजार करती हो !!
कदम अल्फाजों के गुम्सुम से , उल्फत के सितारे हों !
दिल मे बेचैनी का आलम हो , सिले से लव तुम्हारे हो !!
सुलगती आग जब हर पल बदन को जलाती हो !
रोशनी चांद सी जब , तेरे दिल को लुभाती हो !!
उठे उलझन की होड , ख्यालों के सवालों मे !
बस एक चहरा नजर आये , अंधेरे मे उजालों मे !!
बबंडर इश्क का उठता , उसे एक आसरा चाहिये !
कैद कर ले कोई दिल मे , ऐसा कठघरा चाहिये !!
उठा तूफान इश्क का , डरना क्या जमाने से !
बेफिक्र हो इजहार कर , किसी ना किसी बहाने से !!
कर हौसला आजमाईस , मुहब्बत हर वार नहीं होगी !
मेरा दावा है की , सच्चे प्यार की कभी हार नहीं होगी !!
अनुज तिवारी “इन्दवार”
शब्दावली संयोजन बहुत अच्छा है
नज्म अच्छी बन पड़ी है !!
सुक्रिया निवातिया साहेब !!!
bhut khoob….
shabdo ka talmel bhut behtareen hai….
सुक्रिया अन्किता जी !!””