मेरी ज़िंदगी की तन्हाई का,
कोई रास्ता नहीं है |
हर पल एक चोट सी चुभी है,
मेरी मुस्कान का इससे,
कोई वासता नहीं है ||
हर तरफ एक धुंद सी छायी है,
मेरी आँखों की नमी,
फिर भी नज़र आई है |
कोई खामोश है इस तरह,
जैसे दिल में रहती परछाई है |
किसी ने छुपाया है हर राज़ दिल का,
तो क्यों कहे हम उसे हमराज़ दिल का ||
दिल ने कहा उसका हर दर्द भुला दो,
पर उसकी नफरत ने कहा उसको सजा दो |
जिसके लिए खुद को भुला दिया,
उसको भी वो दर्द दो |
न दिल की सुनते है न नफरत की,
इसी आग में हर वक्त जलते है ||
मेरा झुकना मेरी कमज़ोरी समझ लेते है,
जो किया ही नहीं उसका गुनेहगार समझ लेते है |
वो क्या समझेगे हमे,
हमारे लिए तो नफरत से भी दोस्ती कर लेते है ||
मेरे आंसू ही जीने का सहारा है,
कोई नहीं है यहाँ आंसुओ के सिवा,
ना कोई हमारा है |
बहुत खुश हूँ मैं आज,
मेरी तन्हाईयाँ मुझे छोड़कर जाती नहीं |
हसाती है कभी रुलाती है,
पर रातों में मुझे,
अपने होने का एहसास दिलाती है ||
मैं जो हूँ वो कोई जानता नहीं है,
शायद यहाँ कोई मुझे पहचानता नहीं है |
खोये है भीड़ में हम,
यहाँ कोई सहारा नहीं है ||
मेरे आंसू ही मुझे हँसा देते है,
मेरी खुशियों का कोई किनारा नहीं है |
बैठे थे तेरे इंतज़ार में,
कोई ख्वाइश अधूरी रह गई तेरे प्यार में |
मिलने जा रही हूँ आज लहरों से,
फिर भी इंतज़ार है तेरा,
काश तू रोक ले मुझे बहने से ||
कोई ख़ुशी युँ ही गुज़रती नहीं है,
हवा भी बेवजह थमती नहीं |
ज़रा मुस्कुरा कर स्वागत करना इनका,
क्युकि मुश्किलें कमज़ोरों को मिलती नहीं है ||
सोनिका मिश्रा
लिखने का तरीका बहुत अच्छा लगा …
मेरी मुस्कान का ….. वास्ता नहीं ….. लाइन बहुत प्यारी है !!!
Thanks anuj ji
Bhavnao ka gahra saagar samete .. abhivyakt kiya. Dil ko chhu lene wali kavita….