कश्मकश….
सुहानी-सी है ये डगर
अनजाना है मगर
शुरू होगा एक नया सफर ….
कश्मकश में पड़ी है ज़िंदगी इधर ,
जाऊं तो जाऊं किधर ….
हर मोड़ पर हैं दो रास्ते…
कौन सा सही कौन सा गलत
इसकी ना है मुझे कोई खबर ….
मन में छुपा एक अजीब सा डर…
क्या होगा जो भटक जाऊं अगर??
क्या पता कोई अजनबी मिले भी या नहीं
और यकीन करूंगा भी कैसे
अगर कोई आया भी नज़र …..
कश्मकश में पड़ी है ज़िंदगी इधर ,
जाऊं तो जाऊं किधर …..
Good ….
keep it up !””
Thnkss