दूर देश जा बैठी हो माँ!
यादों मे अब तो तुम्हारा
अक्स भी धुंधला पड़ गया है
सावन की तीज के झूले
अक्सर तुम्हारी याद दिलाते हैं
तुम्हारा और भाई का प्यार
उसी दिन तो बरसता था
मोटी रस्सी से बना झूला
पहले उसी के बोझ को
परखता था
कल ही किसी ने कहा था
मुझे “माँ”पर कुछ कहना है
माँ का प्यार,माँ के संस्कार
कुछ तो दे कर,कह कर जाती माँ.
कैसे कहूँ सब के बीच
तुम्हारी बहुत याद आती है माँ!
मीना भारद्वाज
बहुत अच्छा चित्रण …..
लाजवाब………….
तहेदिल से आभार शर्मा जी !!