शोले इश्क के दहकाती चांदनी रात आई है !
प्यार के नग्मे दुहराती चांदनी रात आई है !!
सजा कर ख्वाब की डोली , सितारे साथ लेकर के !
दुल्हन सी सरमाती चांदनी रात आई है !!
लगाकर चांद की बिंदिया , रौनक चांदनी लेकर !
जुल्फों को लहराती चांदनी रात आई है !!
होठ मे ओस की बूंदे , नुमाइस प्यार की करती !
मिलन के गीत गुनगुनाती चांदनी रात आई है !!
शोले इश्क के भडकाती चांदनी रात आई है !
प्यार के नग्मे दुहराती चांदनी रात आई है !!
अनुज तिवारी “इन्दवार”
अच्छी ग़ज़ल !
प्रकृति का सुन्दर चित्रण !!
सुक्रिया निवातिया जी …….
प्रकृति का मनोरम चित्रण.
सुक्रिय मीना जी
nice lines….
सुक्रिया अन्किता जी