तुम्हारी याद और बरसात, एक समान
दोनों मन को देती शीतलता
बढ़ जाती ह्रदय की आतुरता
पवन वेग सा झोंका तेरी यादों का
विरह वेदना को बुझाता हुआ
बादलों के बीच चेहरा मुस्कराता हुआ
कोयल की मधुर संगीतमय बोली
झंझकोर देती है अकेलापन
उनकी यादों की ख़ुशी या मेरा लड़कपन
प्रेम ऋतू में मिलन की अभिलाषा
मन मयूर नाच उठा है बादल देखकर
बारिश की प्रथम बूँद गिरी जब धरती पर
नवजीवन मिलता, भूलती हुई यादों को
हरी धरा, मंद पवन ,कल कल करती सरिता
नभ में उड़ता पक्षी, सावन ख़ुशी भरता
हितेश कुमार शर्मा
ati sundar
Thanks , Anuj Ji