सुबह ने रोशन तीर चलाए
शब का दर्पण टूटा जाए
मुझ को मिला वो दीवाना दिल
अश्कों से जो आग बुझाए
माथे पर बिंदी का सूरज
आँखों में काजल के साए
बादल झूमे नील गगन पर
गोरी ने गेसू लहराए
आओ दिल की कलियाँ चटकीं
जीवन की बगिया मुस्काए
कोई लगाए आग दिलों में
कोई दिलों की आग बुझाए
हुस्न क़यामत ढाने निकला
आँचल का परचम लहराए
क्या प्रीतम आने वाले हैं
कागा तू क्यूँ शोर मचाए
उस इन्सां का जीना ही क्या
जो इन्सां के काम न आए
हर ज़र्रे में सूरज रोशन
धरती से आकाश लज्जाए
किस ने छेड़ा गीत ज़़िया का
प्यार का सागर उमड़ा आए
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तड़प सजदों की है हर दर के पीछे
कभी इस दर कभी उस दर के पीछे
ज़माना कारवाँ बनता गया है
किसी रहज़न किसी रहबर के पीछे
ख़लल ख़वाबों में कैसा आ गया है
बगूले उठ रहे हैं घर के पीछे
फ़सील ए शहर तक ले आया था अज़म
पलटते भी तो क्या हम डर के पीछे
न जाने क्यूँ तआकुब में अभी तक
अँधेरे हैं शह ए अनवर के पीछे
यक़ीन ए आबलापाई सलामत
फिर उग आए हैं काँटे घर के पीछे
ज़़िया साहिब! चलोगे बच के कब तक
खड़ी है मौत हर पत्थर के पीछे
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तेरे बग़ैर इक घड़ी मुझको नहीं क़रार देख
बैठा हूँ रहगुज़ार में ख़स्ता ए इन्तिज़ार देख
ऐ दिल ए दर्द आशना उजड़ी हुई बहार देख
बाग़ ए खिज़ांशिकार में , फूल नहीं तो ख़ार देख
तूने कहा था ज़िन्दगी सिर्फ़ फ़रेब ए होश है
मुझको जहान ए ज़ीस्त पर आगया ऐतबार देख
क्या है मआल ए ज़ौक ए इश्क़ हुस्न की कायनात में
ऐ दिल ए बेक़रार सोच, दीदा ए अश्कबार देख
तेरी हयात गोश ओ होश, मेरी हयात ख़ामुशी
ऐ मिरे राज़दार सुन, ऐ मिरे ग़मगुसार देख
गुलकदा ए हयात में आज खिज़ां का राज है
उसकी तरफ भी गाह गाह फ़ितनागर ए बहार देख
तेरे बग़ैर ज़िन्दगी तिश्नगी ए दवाम है
रूह भी बेक़रार है, दिल भी है सोगवार देख
आ ही गया फ़रेब में हुस्न के तू भी ज़िया
सजदे में है सर ए नियाज़, अपना मआल ए कार देख