दिल की चाहत पे , यहां कौन यकीन करता है !
जमाना भी सराफत की तौहीन करता है !!
चहरे की चकाचौंध से , बचना मेरे यारो !
ये अक्सर आखो का पानी नमकीन करता है !!
गर्जिस मे भी यहां , खुदगर्जों से दूरी रखना !
वो खुदगर्जी की दुनियां रन्गीन करता है !!
कोई अपना भीड मे , पीछे ना छूट जाये !
जो हरपल आपका जीना मुम्कीन करता है !!
भूल कर भी कभी , उसके सपने ना तोड देना !
जो हरदम आप के सपने हसीन करता है !!
दिल की चाहत पे , यहां कौन यकीन करता है !
जमाना भी सराफत की तौहीन करता है !!
Anuj Tiwari “Indwar”
।।अच्छी रचना ।।
Thanks
Good1