सात रंगों से भरी है औरत तेरी ज़िंदगी ….
उन रंगों को पहचानने की कोशिश कर…..
बड़ी अनमोल है तेरी एक मुस्कान …
उसकी मूल्यता समझने की कोशिश कर …..
भरी पड़ी है सर्वगुणता तेरे अंदर …..
उसे सही तरीके में उपयोग करने की कोशिश कर …..
खुबसूरती और ज्ञान का भण्डार है तू …
उसे निखारने की कोशिश कर ….
भय और डर ने अगर दस्तक देने की कोशिश भी की …
तो तू उसे बाहर भगाने की कोशिश कर ….
कोई तेरे पैरों में बेड़ियां डाल रहा है तो ….
तू उन बेड़ियों को तोड़ने की कोशिश कर ….
मत भूल तू एक आज़ाद पंछी है ….
बस तू अपने मंज़िल की उड़ान भरने की कोशिश कर….
सही मायने में तू इस सृष्टि का आधार है ..
बस उस आधार को मजबूत करने की कोशिश कर …..
सात रंगों से भरी है औरत तेरी ज़िंदगी ….
उन रंगों को पहचानने की कोशिश कर…..
बहुत प्यारी कविता !
एक ऐसी ही कविता नारी की हिस्सेदारी मै भी लिखा हू .
आप मे हुनर है
कविता को थोडा सा shape देने की जरूरत है.
ऐसे ही लिखते रहिये
Keep it up!!!!!
ok