मेरे इस मायूस दिल में
उनके लिए मुहब्बत आज भी है
बेसक वो बेखबर हैं इस बात से
दिल ने की इबादत आज भी है
यूं चले गए वो मुझे तनहा छोड़ कर
बरसों पुराना दिल का नाता तोड़ कर
इस बात की शिकायत मुझे आज भी है
उनके लिए दिल में मुहब्बत आज भी है
उमीदों के तिनकों से जो महल बनाया था सपनो का
एक पल में ही साथ छूट गया मेरे अपनों का
मगर तेरी यादों की मुझ पर इनायत आज भी है
उनके लिए दिल में मुहब्बत आज भी है
तेरे बिना अब इस दिल को कुछ नहीं भाता
तेरी तरह मुझे यूं भुलाना नहीं आता
मेरी नज़रों में अभी ये सराफत आज भी है
उनके लिए दिल में मुहब्बत आज भी है
तेरे यूं भूलने से ये प्यार काम नहीं होगा
बात ये है की इश्क़ ये इज़हार अब नहीं होगा
तेरी वो मुलाकातें इस दिल में सलामत आज भी है
उनके लिए दिल में मुहब्बत आज भी है
हितेश कुमार शर्मा
Bht badhiya…badhai k patra hain aap
बहुत अच्छा । बधाइ हाे । अाैर भी एेसे ही गजलकी अपेक्षा करता हुँ ।