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क्या क्या बसता मेरे अंतर्मन में,
मन की व्यथा तुमसे कह पाता !
जख्म आज भी ताजा है यादो के,
काश ! तुमको ये दिखला पाता !!समझ सकते तुम मेरा मौन,
न लबो से मैं कुछ कह पाता !
नजरो ही नजरो में बाते करते,
काश ! दिल की किताब पढ़ पाता !!जब होता मन दुखी व्यथित,
आकर तनिक समझा जाता !
मन की उठती पीड़ा पर जो,
काश ! प्रीत का मरहम लगा जाता !!तुम मेरी प्रीत, प्रेरणा तुम हो,
तुम ही, दोस्ती की परिभाषा !
धड़कता है ये दिल तेरे नाम से,
काश ! तुमको ये समझा पाता !!भटक सा गया जीवन पथ पर,
वो मुझसे राहो में टकरा जाता !
गाकर प्रेम गीत अपने लबो से,
काश ! मुझे ढांढस बंधा जाता !!कर के तुम से दो बाते मीठी सी,
इस दिल को सुकून मिल पाता !
सहलाते मेरी भीगी पलकों को,
काश ! वो पल मै भी जी पाता !!डी. के निवातियाँ [email protected]@@
बहुत अच्छी रचना है !! H
शुक्रिया !!
Mast h sir
शुक्रिया !!