ज़िंदगी
कोई जीतने की चाहत रखता है,
कोई प्यार की इबादत करता है |
बड़ा कमजोर है इंसान,
सोचता है पाने को मंज़िल,
पर हाँथ खाली रखता है ||
ज़िंदगी के मायने अलग है यहाँ,
पर मौत की हकीकत एक है |
झूठ स्वार्थ की माया है ज़िंदगी,
पर मौत की शख़्सियत एक है ||
क्या बुरा है क्या भला, किसको पता,
फिर क्यों अपने ही पैमाने में रखते है लोग |
डर से सच भी न कहे,
ऐसे डर में क्यों जीते है लोग ||
द्वारा सोनिका मिश्रा
A very inspiring piece of writing…….but after all life continues to play all its all in which one find momentary happiness.
jindegi ko chand hi lafzon mai bayan kar di apne….bohut hi khubsurat peskash..