।।गज़ल।।डरता तो हूँ ।।
तेरी यादो में तड़पा सम्हलता तो हूँ ।।
मैं मुहब्बत तुमसे करता तो हूँ ।।
रौनके थी यकीनन तेरे पास रहने से ।।
बुझते हुये दिये सा अब जलता तो हूँ ।।
दूर कर दिया हैं तुमने तो क्या हुआ ।।
दूर रहकर भी आहें भरता तो हूँ ।।
यकीं कर, न कर,फर्क कुछ भी नही ।।
तेरी निगाहो से आज भी डरता तो हूँ ।।
तेरी खुशियो की क़द्र ही करके क्या करू मैं।।
हर पल तेरे गम में दोस्त मरता तो हूँ ।।
कब तक सामना करूँ तेरी यादो का ।।
खुद की बेगुनाही की कीमत भरता तो हूँ।।
…………….R.K.M