Homeचंद्र रेखा ढडवालतुम हँस सके तुम हँस सके शिवम चंद्र रेखा ढडवाल 22/02/2012 No Comments विध्वंस के कगार पर स्तब्ध खड़ी सेनाओं के मध्य तुम हँस सके मैं इसी से मानती हूँ कृष्ण! तुम अवतार थे मनुष्य नहीं थे प्रभु थे Tweet Pin It Related Posts एक लकीर सुबह होना ही क्या About The Author शिवम Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.