ऐ गम मत भूल काल तुझ पे भी भारी हैं
आज तेरी बारी हैं तो कल मेरी बारी हैं
जी भर के सता ले तुझको जितना सताना हैं
कितना भी घना हो बादल एक दिन छट ही जाना हैं
हौसला कर मेहनत के बान मैने तुझ पे तानी हैं
ऐ गम……….
मैं मानता हू कुछ लोगो के नजरिये बदल गए
तेरी घटा के रंग मे वो रंग बदल गए
चलो अच्छा हुआ उनसे जो पहचान करा दी हैं
जो उम्मीद बांधी थी बेवजह वो दीवार गिरी दी हैं
अब मैने सिर्फ अपने दम लड़ने की ठानी हैं
ऐ…………..
मेरे खाबो के फूल डाली से उतर गए
अरमानो के बेले सब सूखे पड़ गए
गुजरा हैं हर वक्त एक दिन ये भी गुजरेगा
लोगो के ताने बोल पर कानो मे गुजेगा
हर पतझर के बाद फिर वसन्त की बारी हैं
ऐ………….
मानता हू नाम मेरा कुछ कम हो जाएगा
लोगो के दिलो से सम्मान मेरा तू फिसलता पाएगा
पर यकीन हैं ये कभी नही बदनाम हो पाएगा
हर कदम मुझे सच्चाई के तू साथ ही पाएगा
लोगो की नजर मे कल और कद
मेरी बढ ही जानी हैं
ऐ गम……….
Good must say heart touching & motivating
Thank you sir
अच्छी रचना।
शुक्रिया सर
Very nice bahut achcha likha h bhai
thank you