Homeअज्ञात कविचमचागीरी-102 चमचागीरी-102 budhpal अज्ञात कवि 28/06/2015 No Comments हमें जिंदगी भर मेहनत करने पे मलाल है; चमचों को जो मिला है वह चमचागीरी का कमाल है. Tweet Pin It Related Posts “मेरी जंग “ प्यार का पैगाम – बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा – बिन्दु चमचागिरी-13 About The Author budhpal मैं ३९ वर्षों की नौकरी में हर जगह चमचों से पीड़ित व्यथित व्यक्ति रहा हूँ. Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.