उनके गलियों में आना जाना खुब था ,
कभी कोई बहाना बनाकर तो कभी सिर फिरा आशिक़ बनकर ,
किया करता था इंतज़ार उनके एक झलक का ,
ख़्वाहिशें भी राजी थीं और मेरी मर्ज़ी भी ,
दुआ भी वहीँ थीं और मेरी अर्ज़ी भी |
पर वो सब मेरा एक ख्वाब था ,
उनके गलियों में आना जाना खुब था |
ख्वाबों का परिंदा उड़ता तो बहुत ऊपर है ,
पर ख्वाबों के टूटने पर वो सीधे जा गिरता नीचे है|
मैं भी वहीँ एक परिंदा था ,
जिसकी मंज़िल उन गलियों में फूल खिलाना था ,
उनके राहों से सारे कांटें हटाना था ,
उनके पलकों पर अपने प्यार का सपना सजाना था |
मैं चाहता था …..मैं उनकी सुकून भरी नींद बनूँ …
मैं चाहता था …..मैं उनके हर दर्द की दवा बनूँ …..
उनके धूप भरे राहों का छाँव बनूँ ….
उनका दो लफ्ज़ बनना मेरी ख्वाहिश थी,
मेरी हर सांस में उनके लिए इबादत थी |
पर वो सब मेरा एक ख्वाब था ,
उनके गलियों में आना जाना खुब था |
समय बीतता गया धीरे-धीरे ,
मुझे लगा उन्हें भी मुझसे प्यार होने लगा था ,
क्यूंकि उन्हें मेरी फ़िक्र थी ,
मेरी उदासी में उदास और ख़ुशी में वो खुश हुआ करती थी ,
मेरे अकेलेपन में उनका साथ हुआ करता था ,
तब उस गली में तो उनसे अक्सर मुलाक़ात हुआ करता था
पर जब इज़हारे मोहब्बत की उनसे ,
तो वो तो खफा हो गईं,
उन्होंने बोला हमारे बीच प्यार कब था ,
हमारे बीच जो था वो बस एक दोस्ती का रिश्ता था |
उनका ये कहना उनके लिए आसान था ,
पर मेरे लिए उतना ही मुश्किल था |
मेरा ख्वाब शीशे की तरह टूट चूका था ,
क्यूंकि उन्होंने मेरे प्यार को दोस्ती का नाम दिया था ….
अब मेरे पास कुछ नहीं बचा …
क्यूंकि उन्होंने तो मुझसे वो दोस्ती का भी रिश्ता तोड़ दिया था …..
उनके गलियों में आना जाना खुब था……..
very nice ………….