- जरूर आज उसने भीगी जुल्फों को झटका होगा,
वरना ऐसे तो झूमके ये घटा कभी बरसती न थी !जरू किसी मतवाले बादल को मस्ती छायी होगी
ऐसे तो मनमयूरी नाचने को कभी तरसती न थी !शायद बरसात की भीगी रातो में याद आई होगी,
अब से पहले कभी रात इतनी काली होती न थी !रो रोकर गिरे अश्को से उसके बर्फ कुछ जमी होगी,
पहले तो बारिश में ऐसी ओलावृष्टि बिखरती न थी !चुभती होगी उसके बदन बारिश की बूँद तन्हाई में,
पहले भी होती बारिश हर साल ऐसे अखरती न थी !
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डी. के निवातियाँ [email protected]@@
Nivatitan Ji mai aap ka bahut bada fan hoon.
Aap ki sari rachanaaye bahut hi badiya hai.!!!
aapke prem ka abhaari
& thanks
धन्यवाद मित्र !
हार्दिक आभार !!
Nice creation written By you
क्या जादू बिखेरा है लफ़्ज़ों से हुस्न-ओ-इश्क़ की करामात का….बेहतरीन……बेमिसाल……