Homeअज्ञात कविचमचागीरी-79 चमचागीरी-79 budhpal अज्ञात कवि 14/06/2015 No Comments यदि मेहनत करने के नियम का पालन कड़ाई से होता है ; चमचों की उंगलियां जल जाती हैं और उनका सर कढ़ाई में होता है. Tweet Pin It Related Posts अंत काल – बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा – बिन्दु माँ के आँसू की गरिमा …. भूपेंद्र कुमार दवे संतोष हो मन में तो खुशिया रहती जीवन में – अनु महेश्वरी About The Author budhpal मैं ३९ वर्षों की नौकरी में हर जगह चमचों से पीड़ित व्यथित व्यक्ति रहा हूँ. Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.