Homeअज्ञात कविचमचागीरी-78 चमचागीरी-78 budhpal अज्ञात कवि 14/06/2015 No Comments जिन को अपने काम पे भरोसा होता है वे नौकरी करते हैं; और जिन्हे भरोसा नहीं होता वे चमचागीरी करते हैं. Tweet Pin It Related Posts जीवन का गणित चेहरा – बी पी शर्मा बिन्दु तेरी चाह About The Author budhpal मैं ३९ वर्षों की नौकरी में हर जगह चमचों से पीड़ित व्यथित व्यक्ति रहा हूँ. Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.