जस्बा मोहबत का था,
नफरत में बदल गया,
साथ जन्मों का था,
पल में झटक दिया,
एक तीर ज़ुबान से निकला,
दिल छलनि कर दिया.
तोड़कर सब वादे,
वो ज़िन्दगी से निकल लिया,
ये जगह वीरान लगती है,
ज़िन्दगी जैसे तमाम लगती है,
वो इस ज़िन्दगी को,
वीरान कर गया,
इच्छा थी आसमान छुने की,
हर तारे को ज़मीन पर लाने की,
वो सपना तोड़कर चला गया,
क्यूँ करते है लोग वादे,
क्यूँ दिखाते है सपने,
जब सपना तोड़कर जाना होता है,
हर वादे से मुह मोड़कर जाना होता है|
बी.शिवानी
bahot hi behtareen……
धन्यवाद
अति उत्तम!
धन्यवाद