Homeअज्ञात कविचमचागीरी-67 चमचागीरी-67 budhpal अज्ञात कवि 31/05/2015 No Comments हर जगह चमचों की एक ही पुकार है; चमचागीरी मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है. Tweet Pin It Related Posts मै तेरी तस्वीर से – अजय कुमार मल्लाह सर्जिकल स्ट्राइक मायका बनाए रखना-Bhawana kumari About The Author budhpal मैं ३९ वर्षों की नौकरी में हर जगह चमचों से पीड़ित व्यथित व्यक्ति रहा हूँ. Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.